क्या खोया क्या पाया बहुत दिनों के बाद आज फिर अपने आप से, बात करने का मौका मिला। क्या खोया क्या पाया बहुत दिनों के बाद आज फिर अपने आप से, बात करने का मौ...
परेशाँ ही इसलिए ये दिमाग़ है मेरा ख़ुशी के पल जिंदगी सें फराग़ है मेरा। परेशाँ ही इसलिए ये दिमाग़ है मेरा ख़ुशी के पल जिंदगी सें फराग़ है मेरा।
स्पर्श हरा है अभी स्पर्श हरा है अभी
बहुत कुछ है अभी बहुत कुछ है अभी
उठ चल कि तुझमे ये जाँ अभी बाक़ी है तू औरत है यही तेरे निशां अभी बाक़ी हैं। उठ चल कि तुझमे ये जाँ अभी बाक़ी है तू औरत है यही तेरे निशां अभी बाक़ी हैं।
‘बोलो न भैया । हर बात का सस्पेंस बना कर रखते हो ।’ ‘हं ... हां .... इस बार मैं सच में ‘बोलो न भैया । हर बात का सस्पेंस बना कर रखते हो ।’ ‘हं ... हां .... इस बार मै...